पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/३९९

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>> > " " ( ३७१ ) मोटे हिसाब से हर एक के लिये औसत १६ या १७ वर्ष पड़ते हैं)- १. कोंकणिवर्मन् लगभग सन् ३००-३१५ ई० २. माधववर्मन प्रथम ३१५-३३० ३. अय्य अथवा अरिवर्मन ३३०-३४५,' ४. माधववर्मन् (द्वितीय) सिंहवर्मन ३४५-३७५ ५. अविनीत कोंगणि ३७५-३६५ " ६ १६२. पहले राजा ने अपना नाम कोंकणिवर्मन् कदाचित् इसलिये रखा होगा कि वह कुछ ही समय पहले कोंकण से आया था। उसका राज्य मैसूर में उस स्थान पर था जो आजकल गंगवाड़ी कहलाता है। पेनुकोंड प्लेट ( एपि- ग्राफिया इंडिका, १४, ३३१) मदरास के अनंतपुर जिले में पाए गए हैं। गंग लोग कदंबों के प्रदेश से बिलकुल सटे हुए प्रदेश में रहते थे और कदंब लोग उसी समय अथवा उसके एक पीढ़ी बाद अस्तित्व में आए थे। ६१६३. इस वंश के राजाओं के नाम के साथ 'जो "धर्माधि- राज' की उपाधि मिलती है, उससे यह सूचित होता है कि गंग लोग भी कदंबों की भाँति पल्लवों के धर्म-साम्राज्य के अंतर्गत थे और उसका एक अंग थे। ६ १६४. पहला गंग राजा विजय द्वारा प्राप्त राज्य का अधि- सकती। जिन लोगों को पुराने जमाने में जमीन दान-रूप में मिली थीं, अपने श्रापको उनके वंशज बतलानेवाले लोगों ने कई जाली गंग दानपत्र बना लिये थे। परंतु फिर भी उन्हें गंग राजाओं की वंशावली का बहुत कुछ ठीक ज्ञान था। १. विष्णुगोप का अस्तित्व निश्चित नहीं है (६१६० पाद-टिप्पणी)।