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पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/४१

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( १७ ) ६१५. इस बात का निश्चित रूप से समर्थन होता है कि शुंगों के परवर्ती ये नाग लोग ईसवी पहली शताब्दी में वर्तमान थे। पदम पवाया नामक स्थान एक नाग लेख में, जो प्राचीन पद्मावती नगरी के स्थान पर बसा है, यक्ष मणिभद्र की एक मूर्ति है जिसका उत्सर्ग किसी सार्वजनिक संस्था के सदस्यों ने राजा स्वामिन शिवनंदी के राज्य-काल के चौथे वर्ष में किया था। इस लेख की लिपि आरंभिक कुशनों की लिपि से पहले की है। उसमें “इ” की मात्राएँ (1) टेढ़ी नहीं बल्कि सीधी हैं, उनका शोशा अभी ज्यादा बढ़ने नहीं पाया है। यक्ष की मूर्ति का ढंग भी कुछ पहले का है। लिपि के अनुसार यह मूर्ति ईसवी पहली शताब्दी की ठहरती है। यशःनंदी के बाद जिन राजाओं के नामों का उल्लेख नहीं है, उन्हीं में से शिवनंदी भी एक होगा। साधारणतः पुराणों में किसी राजवंश के उन राजाओं का उल्लेख नहीं मिलता, जो किसी दूसरे बड़े राजा की अधीनता स्वीकृत कर लेते हैं। इससे यही अनुमान होता है कि संभवतः शिवनंदी महाराज कनिष्क द्वारा परास्त हो गया था। पुराणों में कहा गया है कि पद्मावती पर विन्वस्फाणि नामक एक राजा का अधि- कार हो गया था और यह शासक कनिष्क का वही उपराज या राजप्रतिनिधि हो सकता है जिसका नाम महाक्षत्रप वनसपर था। देखो ३३३ । शिवनंदी अपने राज्यारोहण के चौथे वर्ष तक स्वतंत्र १ भारत के पुरातत्त्व विभाग की सन् १९१५-१६ की रिपोर्ट ( Archaelogical Survey of India of India Report) पृ० १०६, प्लेट-संख्या ५६ ।