पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/४०१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

(३७३) परिवार के बाद वाले दान-पत्रों और दस्तावेजों आदि में बराबर वही इतिहास नकल किया गया था । गंगों का एक ऐसा सु-संस्कृत वंश था जिसकी सृष्टि वाकाटकों ने की थी। ६१९८प्रारंभिक गंगों का व्यक्तिगत आदर्श भी और नाग- रिकता संबंधी आदर्श भी बहुत महत्वपूर्ण और ध्यान देने योग्य है। इस वंश के राजा लोग भी विंध्यशक्ति गंगों की नागरिकता की तरह रणक्षेत्र के घावों से अपने आपको अलंकृत करते थे। इसकी प्रतिध्वनि समुद्र- गुप्त के शिलालेख में सुनाई देती है। गंगों का नागरिकता संबंधी आदर्श पूर्ण और निश्चित था। उनका सिद्धांत था कि किसी का राजा होना तभी सार्थक होता है, जब वह बहुत अच्छी तरह प्रजा का पालन करता है। यथा- सम्यक-प्रजा-पालन मात्र अधिगत-राज्य-प्रयोजनस्य । अर्थात्-(महाराज माधव ( प्रथम ) महाधिराज के लिये ) राजा होने का उद्देश्य केवल यही था कि प्रजा का सम्यक रूप से पालन किया जाय। $ १६६. साधारणतः यही समझा जाता है कि समुद्रगुप्त के आक्रमण के प्रत्यक्ष परिणाम-स्वरूप ही कदंबों की सृष्टि हुई थी। परंतु यह बात वस्तव में ठीक नहीं है। कदंब लोग बल्कि उनकी सृष्टि मानव्यों के प्रारंभिक इतिहास के कारण हुई थी। उनके इतिहास का अभी हाल में मि० माओरेस ( Mr. Maores ) ने एक पाठ्य पुस्तक में स्वतंत्र रूप से विवेचन किया है । उस इतिहास की कुछ