पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/४०२

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( ३७४) बातें ऐसी हैं जिन पर अभी तक ध्यान नहीं दिया गया है और जिनका उस युग से विशेष संबंध है, जिस युग का हम इस पुस्तक में विवेचन कर रहे हैं । अतः वे बातें यहाँ कही जाती हैं। ६२००. कदंबों के जो सरकारी अभिलेख और दस्तावेज आदि मिलते हैं और जिनका आरंभ तालगुंड-वाले स्तंभाभिलेख से होता है, उनमें वे अपने आपको हारितीपुत्र उनके पूर्वज मानव्य कहते हैं। हम यह बात पहले से ही जानते हैं कि वनवासी आंध्र (अर्थात् चुटु लोग ) हारितीपुत्र मानव्य थे (६ १५७ और उसके आगे )। यह बात निश्चित सी जान पड़ती है कि कदंब लोग चुटु सात- कर्णियों के वंशज थे। जब वे अपने आपको हारितीपुत्र मानव्य कहते हैं, तब वे मानों यह सूचित करते हैं कि वे उस अंतिम चुटु मानव्य के वंशज थे जो एक हारितीपुत्र था। ज्योंही पहले कदंब राजा ने चुटुओं के मूल निवास स्थान वनवासी और कुंतल पर अधिकार किया था, त्योंही उसने प्रसन्न मन से वह पुराना दान फिर से दे दिया था जो पहले मानव्य गोत्र के हारितीपुत्र शिव- स्कंदवर्मन ने किया था, और यह बात उसने स्वयं उसी स्तंभ पर फिर से अंकित करा दी थी, जिस स्तंभ पर उस संपत्ति के दान का चुटु राजा ने उल्लेख कराया था और जो उसी कौंडिन्य वंश के द्वारा मट्टिपट्टि के साथ संयुक्त किया गया था । यह १. एपि. इं०८, ३४, कीलहान की पाद-टिप्पणी। मिलायो एपि० ई० १६, पृ. २६६, मानव्यसगोत्रानाम् हारितीपुत्रानाम् । २. श्राज-कल का मलवली इसी नाम का अवशिष्ट रूप है। दोनों अभिलेखों की लिपियों के कालों का मध्यवर्ती अंतर यथेष्ट रूप से परिलक्षित होता है । मि० राइस ने E. C. ७, पृ. ६ में