( २३ ) आरंभिक नाग राजाओं के कुछ सिक्के पाए गए हैं। हमें यह भी पता चलता है कि शिवनंदी का राज्य पद्मावती तक था। जो हो, पर इसमें संदेह नहीं कि विदिशा के साथ मथुरा का बहुत पुराना राजनीतिक संबंध है और आगे चलकर नाग राजाओं के समय में यह संबंध फिर से स्थापित हो गया था। यह माना जा सकता है कि प्रारंभिक नाग राजाओं ने मथुरा से क्षत्रपों को भगाने में बहुत कुछ कार्य किया था और इस सिद्धांत का इस बात से खंडन नहीं हो सकता कि मथुरा में एक ऐसे राजवंश का राज्य था, जिसके राजाओं के नाम के अंत में क्षत्रपों के समय के बाद के सिक्कों में "मित्र" शब्द मिलता है, क्योंकि ये सिक्के और भी बाद के जान पड़ते हैं। ६ २२. संभवतः नीचे लिखे कोष्ठक से विदिशा के नागों विदिशा के नागों की की बांशावली का बहुत कुछ ठीक ठीक वंशावली पता चल जायगा- ई० पू० ११० । शेष ई० पू० ११०-६० सिक्के मिलते हैं से ई० पू. ३१ | भोगिन् ई० पू० ६०-८० सिक्के नहीं मिलते तक राजा तो रामचंद्र ई० पू०८०-५० बहुत सिक्के मिलते हैं पाँच, पर पी- धर्मवर्मन् ई०पू० ५०-४० सिके नहीं मिलते ढ़ियाँ चार हुई नंगर ई० पू० ४०-३१ सिक्के नहीं मिलते सन् ३१ ई० पू० के बाद के राजाओं का समय, जो अब आगे से संभवतः पद्मावती में राज्य करते थे, इस प्रकार होगा- ई० पू०२०-१० भूतनंदी सिके नहीं मिलते ई० पू० १०-२५ ई० शिशुनंदी बहुत से सिक्के मिलते हैं यशनंदी सिक्के नहीं मिलते १ विसेंट स्मिथ C. I. M., पृ० १६०
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