पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/९२

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पद्मावती के राजाओं के राज्यारोहण का जो क्रम मैंने ऊपर दिया है, उसके कारण ये हैं। गणपति नाग अंतिम राजा था; और समुद्रगुप्त का समय हमें ज्ञात है, इससे हमें गणपति नाग के समय का भी ठीक ठीक पता लग जाता है। उसके हजारों ही सिक्के मिलते हैं। बल्कि सच तो यह है कि जितने अधिक सिक्के गणपति नाग के मिले हैं, उतने अधिक सिक्के हिंदू काल के और किसी राजा के नहीं मिले हैं। इसलिये हमें यही कहना पड़ता है कि उसने बहुत अधिक समय तक राज किया था। फिर उसके सिके भी कई प्रकार के हैं। मैंने प्रायः आठ प्रकार के सिक्के गिने हैं। इसलिये मैं कहता हूँ कि उसने पैंतिस वर्षों तक राज्य किया था। भीम नाग के सिक्के ठीक बीरसेन के बाद के हैं और स्कंद नाग के सिक्के भीम नाग के ठीक बाद के हैं। जान पड़ता है कि गणपति नाग से ठीक पहले देव नाग हुआ था, क्योंकि दोनों ही समय समय पर अपने नामों के साथ "इंद्र" शब्द का प्रयोग करते हैं, जैसे देवेंद्र; गणेंद्र ( A. S. R. १६१५-१६, पृ० १०५)। वृहस्पति नाग और व्याघ्र नाग में से देव नाग से ठीक पहले व्याघ्र नाग हुआ था, क्योंकि इन दोनों के सिक्कों पर वाकाटक सम्राटों का चक्र-चिह्न है (देखो ६१ क और १०२१)। मथुरावाले वंश में का अंतिम नाम 'नागसेन' उस उल्लेख से लिया गया है जो समुद्रगुप्त की विजयों से संबंध रखता है। समुद्रगुप्त के शिलालेख के अनुसार, जिसका विवेचन आगे तीसरे भाग में किया गया है, नागसेन की राजधानी निश्चित रूप से १. साथ ही देखो अंत में दुरेहा स्तंभ के संबंध में परिशिष्ट ।