पृष्ठ:अजातशत्रु.djvu/११३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

घडू दसरा। ++++ __ मर माने से सेना घबराई थी, उसी समय प्रजात ने भाक्रमण } फर दिया और विजयी हुमा फाशी पर अधिकार हो गया ! पासवी-"तव इसना घपरासी क्यों हो । अमात को रण- दुर्मद साहसी पनाने के लिये ही तो तुम इसनी सत्कण्ठित थीं- राजकुमार को तो ऐसी उद्धत शिक्षा तुम्ही ने दी थी। फिर उलाहना क्यों ? ___छलना-"उलाहना ! क्यों न हूँ। जब कि तुमने जान यूम फर यह विप्लव स्खदा किया है। क्या तम इसे नहीं दया सकती रही, क्योंकि वह तो तुम्हारे नैहर मे तुम्हें मिला हुमा प्रान्त या " वासवी-"जिसने दिया था यदि यह ले ले वो मुझे क्या भधिकार है कि मैं उसे न लौटा १ तुम्ही पतलामो कि मेरा अधिकार छीन कर जम कि नाथ ने तुम्हें दे दिया, तब मी मैने कोई विरोध किया था । छलना-"यह पाना सुनने में नहीं आई है। पासवी, तुमको तुम्हारी असफलवा स्थित करने आई हूँ।" विम्पसार-"वो राजमाता को कम करने की क्या आवश्य कता थी। यह तो एफ सामान्य अनुपर कर सकता या " ~ ...छलना-"फिन्तु वह मेरी जगह तो नहीं हो सकता था और संदेरा अच्छी तरह से नहीं कहवा । तुम्हारे मुख के प्रत्येफ सिद्ध- इनों पर इस प्रकार लक्ष्य नहीं रखता, न यो पासपी को इतना प्रसन्म-ही कर सकता"