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पृष्ठ:अजातशत्रु.djvu/१४८

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प्रजातशा। पूर्ण, सारं ठहरा है। (पैर पर गिरता है) पी। अघम का अपराध क्षमा करो।" मलिफा-"ठोरानफुमार ! चलो, मैं भी श्रावस्ती पलसी है। महाराज प्रसेननित से तुम्हारे अपराधों को क्षमा करा दूंगी और इस कोशल को छोड़ कर चली बाऊँगी-श्यामा, वय सकतुम इस फुटीर पर रहो, मैं पाती हूँ।" (रो जाते श्यामा-"जैसीमाझाः। (स्वगत)जिसे काल्पनिक देवत्व कहते हैं वही वो सम्पूर्ण मनुष्यता है । मार्गधी, धिकार है तुझे। (गाती है) गाना। स्वर्ग है नहीं दूसरा और। समन हृदय 'परम करणामय पही एक है ठौर ॥ सुधा सलिल से मामा जिसका प्रति प्रेम विभोर । नित्य फुप्तममय कम ही छाया है इस भोर ।। स्वर्ग है 6.- पटपरिवर्तन।