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पृष्ठ:अजातशत्रु.djvu/२६

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फथा प्रसा। और मास ने भी अपने नाटक में वही नाम लिम्या है। किन्तु समय का व्यवधान देखने से और बोसों के यहाँ उसका नाम न मिलने के कारण यही अनुमान होता है कि प्राय जैसे एक ही राजा को चौद्ध, जैन और पौराणिक लोग मिन्न-भिन्न नाम से पुकारते है वैसे ही दर्शक, कुणीफ और अजातशत ये नाम एफ ही व्यक्ति के हैं। जैसे किंवसार के लिये विंध्यसेन और श्रेणिक, ये दो नाम भी मिलते हैं। फिन्तु प्रोफेसर गेजर अपने महावरा के अनुवाद में यदी दृढ़ता से अजातशत्र और उदयाश्व के बीच में पर्शक नाम,फे किसोरामा फेहोने का विरोध करते हैं । फयासरित्सागर के अनुसार प्रद्योत ही पद्मावती के पिता का नाम था। इन सम बावों के देग्नने से यही अनुमान होता है, कि पद्मावती विवसार की घड़ी रानी फोशला ( वासवी) के गर्भ से उत्पन्न मंगघ राजकुमारी थी। . . . . नपीन उच्च नशीम राष्ट मात्र जिसन कौरवों के याद महान साम्राज्य भारत में स्थापित किया, इस नाटक की घटना का केन्द्र है। मगध को , कोशल का दिया 'हुआ राजकुमारी कोशला (पासवी) के दहेज में फाशीका प्रान्त था, जिसके लिये मगध के राजकुमार प्रजातशत्र और प्रसेनजित् में युद्ध हुभा। इस युद्ध का कारण, फाशी प्रान्त के आय-फर शेने का सपर्प था। 'हरितमासा पद्धकी-सूफर' और 'तम्छ सूकर. मासक'. फी फथानों का इमा घटना से सम्पन्ध है। ., मजावशनु जब अपने पिया के जीवन में ही राज्याधिकार का मोग कर रहा था और जय उसकी विमाता फोशलकुमारी वासपी - अजास के धाग एक सफार उपेशिवा र्सी हो रही थी, उस समय उसके पिता ( फोशल-नरेश)-प्रसेनजित्ने उद्योग किया कि मेरे