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पृष्ठ:अजातशत्रु.djvu/६९

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मा पहिला । मागन्धी-"प्रियसम ! मैं दासी हूँ।" उदपन-"नहीं,सम आज से मेरी स्वामिनी बनो।" (दामी यीमा मेकर आती है और उदयन सामन रखती है।गयमरममे के साथ हो साँप का परचा निकश पाता है। मागाधी शिा रहती है।) मागन्धी-"पद्मावती ' तं यहाँ सफ ागे यह चुकी है। जो मेरी गका थी यह प्रत्यक्ष हुई।" उदयन-(क्रोध मे उठ कर म्पदा हो जाता है ) "अभी उसका प्रविधि मूंगा, भोह ऐसा पासण्ट भाचरण । असल।" ___ मागधी-"आमा हो मम्राट ! भापके हाथ में न्यायठण्ठ है। फेवल प्रविहिमा से कोई कर्तव्य भापका निर्धारित न होना चाहिये, सहसा मी नहीं। प्रार्थना है कि आज आप घिमाम करें, फल विचार कर कोई काम फीजियेगा। उनयन-"नहीं । किन्तु फिर भी तुम कह रही हो, अच्छा मैं विमाम चाहता हूँ मागन्धी-"यहाँ । (जदयम मरता है। मागधी र पपाती है) पट-परिवतन।