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नहीं यह कल्पना,
सत्य है मनुष्य का
मनुष्यत्व के लिये,
वंद हैं जो दल अभी
किरण-सम्पात से
खुल गये वे सभी।
'४१
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नहीं यह कल्पना,
सत्य है मनुष्य का
मनुष्यत्व के लिये,
वंद हैं जो दल अभी
किरण-सम्पात से
खुल गये वे सभी।
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