पृष्ठ:अणिमा.djvu/८५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
८३
 
 

आप लोग आमुख हैं सब विद्या के,
बोलेंगे; हममें जो श्रेष्ठ श्रुतिधर थे—विवेकानन्द
जानता है विश्व उन्हें—
जनता के अर्थ वे
सब कुछ कह गये हैं,
सिर्फ़ काम करना है;
फिर भी हम बोलते हैं लोगों के आग्रह से
सांसारिक धर्म पर
सर्वश्रेष्ट जो है जैसा ऋषिमुनियों ने कहा है।
एक दिन विष्णुजी के पास गये नारद जी,
पूछा, मर्त्यलोक में वह कौन है पुण्यश्लोक
भक्त तुम्हारा प्रधान?
विष्णुजी ने कहा, 'एक सज्जन किसान है,
प्राणों से प्रियतम।'
नारद ने कहा, 'मैं
उसकी परीक्षा लूँगा।' हँसे विष्णु—सुनकर यह,
कहा कि ले सकते हो।
नारद जी चल दिये,