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अतीत-स्मृति
 


हो जहाँ उन्होंने अपने धर्म का प्रचार न किया हो। भारतवर्ष, लंका, ब्रह्मदेश, सुमात्रा, जावा, चीन, जापान, तुर्किस्तान, अफ़गानिस्तान, एशिया माइनर आदि न मालूम कितने देशों में घूम घूमकर उन लोगों ने अपने मत का प्रचार किया था। ईसा की पाँचवीं शताब्दी में बौद्ध धर्म एशिया में उन्नति की चरम सीमा पर पहुंच गया था। इसी समय काबुल, चीन और जापान के कुछ बौद्धो ने अमेरिका के मेक्सिको राज्य में जाकर अपने धर्म का प्रचार किया।

मेक्सिको से पूर्वोक्त मत के प्रमाणस्वरूप बौद्धों के बहुत से चिह्न पाये जाते है। उनमें से वहाँ के बौद्ध-युग का भास्कर्य्य और स्थापत्य सबसे अधिक विश्वसनीय है। इसके चिह्न मेक्सिको के घर घर में पाये जाते है। इसके सिवा वहाँ के नगरों और ग्रामो से भी यह मालूम होता है कि मेक्सिको में बौद्ध धर्म का प्रभाव बहुत दिनो तक रहा। उदाहरणार्थ ग्वाटीमाला (Guatimala) को लीजिए। वह "गौतमालय" का अपभ्रंश है। Oaxaca, Zacaticas, Sacatepee, Zacattond, Sacapulas आदि स्थानों के नाम भी शाक्य शब्द की छाया पर बने हैं। इस बात को सब लोग जानते हैं कि संस्कृत का 'श' अक्षर अन्य भाषाओं में 'ह', 'ज' अथवा 'ख' बन जाता है। इसलिए शाक्य से साका और ज़ाकरा आदि हो जाना कुछ विचित्र नहीं। मेक्सिको में पाल के नाम एक स्थान है। वहाँ बुद्ध को एक मूर्ति मिली है। उस मूर्ति पर लिखा है-'शाकोमल'। हमारी समझ में यह शब्द