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बाली-द्वीप में हिन्दुओं का राज्य
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इत्यादि। वहाँ के अनेक शास्त्र-ग्रन्थ विलुप्त हो गये है।

बाली और लम्बक द्वीप के हिन्दू पहले जावा में रहते थे। मुसलमानों के भय से वे वहां से बहुबाहु नामक राजा के साथ बाली-द्वीप में चले आये। ये लोग जावा मे कब और किस सिल-सिले से आये थे, यह बात कोई नहीं जानता। हाँ, इतना पता अवश्य लगता है कि कलिङ्गदेश के शैवो ही ने जावा मे हिन्दू-राज्य स्थापित किया था।

भाषा, धर्म, आचार, व्यवहार आदि सभी बातें देश और काल के भेद से विभिन्न हो जाती हैं। परन्तु विभिन्न हो जाने पर भी उनमे कुछ कुछ सादृश्य बना रहता है। बाली द्वीप की भाषा, धर्म, आचार और व्यवहार मे भी उसका परिचय पाया जाता है। इस द्वीप तथा आस पास के अन्यान्य द्वीपों की भाषा के साथ संस्कृत का बड़ा घनिष्ठ सम्बन्ध है। इस बात को इन द्वीपो में जाने वाले सभी लोगों ने स्वीकार किया है।

भारत-महासागर के इन दो हिन्दू-द्वीपो का इतिहास इस समय तिमिराच्छन्न है। इन द्वीपो में हिन्दू लोगो ने कब और किस प्रकार उपनिवेश स्थापन किया, इसका लिखित इतिहास न तो बालीद्वीप ही में मिलता है और न अन्य ही किसी देश में।

यदि यह मान लिया जाय कि शैव लोगो ने वहाँ उपनिवेश स्थापित किया तो यह भी मानना पड़ेगा कि यह घटना बौद्ध धर्म के आविर्भाव होने के पीछे की है। बाली द्वीप में शकाब्द का प्रचलन इस मत को पुष्ट करता है। परन्तु उपनिवेश-स्थापन