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अतीत-स्मृति
 


के समय का है। यह राजा भारत के उत्तर-पश्चिमाञ्चल का स्वामी था। इस लेख मे १०३ का अङ्क है, पर संवत् का नाम नहीं। गुडूफर्स के सिंहासन पर बैठने के छब्बीसवें वर्ष का यह लेख है। डाक्टर फ्लीट और मिस्टर विन्सेंट स्मिथ ने अनेक तर्कनाओं और प्रमाणो से यह सिद्ध किया है कि यह १०३ विक्रम-संवत् का सूचक है। राजा गुडूफर्स का नाम यहूदियों की एक पुस्तक में आया है। यह पुस्तक ईसा के तीसरे शतक की लिखी हुई है। इससे, और इस सम्बन्ध के और प्रमाणो से, यह निःसंशय प्रतीत होता है कि विक्रम-संवत् का प्रचार ईसा के तीसरे शतक के पहले भी था और मालवा ही में नहीं, किन्तु पेशावर और काश्मीर तक में इसका व्यवहार होता था। इस पर भी यदि कोई इस संवत् का प्रवर्तक मालवाधिपति शकारि विकमादित्य को न माने और उसकी उत्पत्ति ईसा के छठे शतक में हुई बतलाने की चेष्टा करे तो उसका ऐसा करना हठ और दुराग्रह के सिवा और क्या कहा जा सकता है।

[सितम्बर १९११