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१०८ :: अदल-बदल
 

'मैं तो अपना कर्तव्य-पालन करती रहूंगी।'

'कब तक?'

'जब तक जीवित हूं।'

'यदि वे आपको त्याग दें?'

'तो भी मैं उन्हें नहीं त्यागूंगी।'

'परन्तु कानून तलाक को स्वीकार कर दे तो?'

'तो भी नहीं।'

'क्या आप कानून के विरुद्ध लड़ेंगी?'

'लड़ने की मुझे आवश्यकता ही नहीं है।'

'यदि वे अपना दूसरा विवाह करें?'

'वे जो चाहे करें।'

'आप और कुछ कहना चाहती हैं?'

'नहीं।'

'उन्होंने कुछ रुपया मेरे द्वारा आपके पास भेजा है, आप लेंगी?'

'नहीं लूंगी।'

'क्यों?'

'उनका धन मेरा ही है, उसे आपके हाथ से क्यों लूंगी? हां, देना हो तो आपको प्रसन्न मन से दूंगी।'

'क्षमा कीजिए, आप अव्यावहारिक हैं। मैं आपको सहायता देने के विचार से आई थी।"

'मैं आपको धन्यवाद देती हूं।'

'खैर, जब कभी आपको मेरी सहायता की आवश्यकता हो-- आप मुझे याद कर सकती हैं।'

'आपकी कृपा के लिए मैं अत्यन्त कृतज्ञ हूं।'

मालतीदेवी खिन्न मन उठकर चल दीं। जलपान का अनुरोध उन्होंने नहीं माना।