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९० :: अदल-बदल
 


करे, जिससे पति के अत्याचारों से पत्नी की रक्षा हो।'

'परन्तु कहीं अत्याचार की बात, भी हो, इस प्रकार की चेष्टा तो स्त्रियों ही का अत्याचार है।'

'तब तो अवश्य कानून आपका सहायक होगा, अब आप जा सकते हैं।'

'कृपा कर मेरी पत्नी को बुला दीजिए--झंझट मत खड़ा कीजिए।'

'आप स्वयं ही संघ के ऑफिस में झंझट खड़ा कर रहे हैं। कृपया आप चले जाइए।'

'मैं अपनी पत्नी को यहां से ले जाने के लिए आया हूं।'

'वह आपके साथ नहीं जाना चाहतीं।'

'मैं उसे समझा लूंगा, आप उसे बुलाइए।'

'वह आपसे बात भी करना नहीं चाहतीं।'

'आप गजब करती हैं मालतीदेवी, एक पति और पुत्री से उसकी पत्नी और माता को जुदा करती हैं! आपको तो मेरी सहायता करनी चाहिए।'

'शायद कानून आपकी सहायता करे।'

'आप व्यर्थ ही बारम्बार कानून का नाम क्यों घसीटती हैं? पति-पत्नी के बीच आत्मा का सम्बन्ध है, कानून की इसमें क्या आवश्यकता?'

'मै आपसे इस समय, इस विषय पर विवाद नहीं कर सकती।'

'मैं भी विवाद करना नहीं चाहता। आप मेरी पत्नी को बुला दीजिए।'

'वह नहीं आएंगी?'

'क्यों नहीं आएंगी?'

'यह उनकी इच्छा है।'