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अद्भुत आलाप


और उग्र-गंधी तेज़ाब है। फिर मुर्ग महाशय चुगने के लिये छोड़े गए। तेजाब की तेजी का खयाल करके हिल साहब वहाँ से हट आए। कुछ देर तक उस वीर मुर्गे ने मामूली तौर पर झट-झट दाना चुगा। किसी तरह की कोई गैर-मामूली बात उसमें नहीं देख पड़ी। पर जरा देर बाद उसे चक्कर आने लगा। एक टाँग को दूसरी पर रखकर वह खड़ा हो गया। बार-बार अपनी चोंच को वह ऊपर उठाने लगा। फिर कुछ देर में वह वहाँ से हट आया, और अपने रहने की जगह चला गया। वहाँ अपना सिर नीचे झुकाकर और पख फैलाकर वह खड़ा रहा। दस मिनट तक वह इस हालत में रहा। इसके बाद वह उस छलनी के पास फिर वापस आया। पर दुबारा दाना चुगने की कोशिश उसने नहीं की। देखने पर मालूम हुआ कि उसकी चोटी खून से भीगी हुई थी।

इन परीक्षाओं से इस बात का अच्छी तरह पता नहीं लगा कि चिड़ियों में घ्राण-शक्ति होती है अथवा नहीं। और, होती है, तो कितनी होती है; किस-किस चिड़िया में होती है; और किसमें कम और किसमें अधिक होती है। इस विषय की जाँच जारी है। आशा है, कुछ दिनों में कोई निश्चित सिद्धांत स्थिर हो जाय।

एप्रिल, १६ ५