भी कहने लगा। यह देखकर लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ,
और यह आशा हुई कि वह सिखलाए जाने पर और शब्द भी बोल सकेगा। अतएव पूर्वोक्त अध्यापक महाशय ने उसे 'हाउ आर यू ग्रांड मामा' ( How are you Grand Mamma=दादी, कैसी तबियत है? ) यह वाक्य सिखाना प्रारंभ किया। कुछ दिनों में वह कुत्ता यह वाक्य भी अस्पष्ट रूप से उच्चारण करने लगा। यह देखकर वेल साहब तथा उनके पड़ोसियों के हर्ष और विस्मय की सीमा न रही।
अध्यापक वेल को पशुशाला में अन्य पशुओं के साथ बहुत-से बंदर, कुत्ते तथा तोते भी हैं। इन्हें वह बहुत प्यार करते हैं। कारण यह कि ये प्राणी मानव-भाषा के कोई-कोई शब्द अच्छी तरह बोल सकते हैं। इनमें से कोई ऐसे भी हैं, जो कुछ वर्ण लिख सकते हैं। पीटर नाम का एक बंदर है। कहते हैं, वह अँगरेजी-वर्ण-माला साफ-साफ लिख सकता है। वेल साहब के तोते भी मनुष्य की बोली बोलने में निपुण हैं। परंतु आपका मत है कि अन्य पशु-पक्षियों की अपेक्षा बंदर और कुत्ते मानवीय भाषा बोलना अधिक अच्छी तरह और अधिक जल्दी सीख सकते हैं। यहाँ तक कि आप शब्दोच्चारण के लिये कुत्तों के कंठ की गठन-प्रणाली को मानव-कंठ की गठन-प्रणाली से अधिक उपयोगी बतलाते हैं।
अब तक जो हमने लिखा, उससे यह प्रकट है कि यदि परिश्रम-पूर्वक शिक्षा दी जाय, तो बंदर और कुत्ते मानव-भाषा