अमेरिका के एक ऐसे कुत्ते का हाल पाठक सुन चुके हैं, जो मनुष्य की बोली बोल सकता है। अब विद्वान् घोड़ों का भी वृत्तांत सुन लीजिए। यह वृत्तांत भी अमेरिका के प्रसिद्ध पत्र 'साईटिफ़िक् अमेरिकन' में प्रकाशित हुआ है। इसे सहस्र-रजनी चरित्र की कहानी या ग़प न समझिए। इन बातों की परीक्षा पंडितों ने की है, और इनके सच होने का सार्टिफ़िकेट भी दिया है। जिन लोगों ने इन बातों की सचाई में संदेह किया था, और इन घोड़ों का समझ और गणित-शक्ति की बात को इनके मालिकों की चालाकी बताई थी, उनकी आलोचनाओं का खंडन अनेक पंडितों ने अच्छी तरह किया है।
किसी नए वैज्ञानिक तत्त्व का पता लगने पर पता लगानेवाले का कर्तव्य है कि उस विषय से संबंध रखनेवाली सारी बातें वह लिख ले। इसके बाद वह तत्संबंधी सिद्धांत ढ़ूँढ़ निकालने की चेष्टा करे। यही व्यापक नियम है। पर जब कोई अलौकिक और अद्भुत बातें ज्ञात होती हैं, तब पहले यही देखना पड़ता है कि वे बातें सच भी हैं या नहीं; क्योंकि पहले तो उन पर लोगों का विश्वास ही नहीं होता। अतएव पहले उनकी सचाई पर दृढ़ प्रमाण देना पड़ता है। सिद्धांत पीछे से निकाले जाते हैं। यह, घोड़ों की विद्वत्ता-संबंधी विषय, भी अलौकिक अतएव अविश्वसनीय-सा है। इसलिये पहले उसका संक्षिप्त वृत्तांत