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पृष्ठ:अद्भुत आलाप.djvu/१२२

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अद्भुत आलाप

इस प्रकार एक शब्द से सब बंदरों को एक ही प्रकार का काम करते देखकर गार्नर साहब ने उस शब्द का अर्थ ढूँढ़ निकाला। इसी उपाय से उन्होंने बंदरों की भाषा के वाक्य और उसके अर्थ निश्चित किए।

डॉक्टर गार्नर ने जिस तरह बंदरों की भाषा सीखी, उसी तरह उन्होंने बंदरों को मनुष्यों की भाषा सिखलाने का भी प्रयत्न किया। उनका एक पाला हुआ बंदर था। उसका नाम था मोज़ेज़। उसने अँगरेज़ी का 'मामा', जर्मन का 'बी' और फ्रेंच का 'फ़्य' उच्चारण करना सीख लिया था। फ्रेंच-भाषा में 'फ़्य' आग को कहते हैं। गार्नर साहब उस बंदर को आग दिखा-दिखाकर बार-बार 'फ़्य' कहा करते थे। इसका फल यह हुआ कि मोजेज़ जब कभी आग देखता, तब 'फ़्य' कहकर चिल्ला उठता।

बंदरों की भाषा सीख लेने पर गार्नर साहब उनसे बराबर बातें किया करते थे। एक बार आप जंतुशाला में चिंपैंज़ी नाम के बंदरों के कठघरे में गए। सब बंदर सो रहे थे। आपने जाकर उनकी भाषा में कहा---ऊ: ऊः। सब एकदम जाग पड़े, और आकर गार्नर साहब को उत्तर देने लगे। एक दूसरी जाति के प्राणी से अपनी जाति की भाषा सुनकर उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ। ऐसी घटनाएँ कई बार हुई हैं।

सितंबर, १९२०