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मंगल-ग्रह तक तार
१६––मंगल ग्रह तक तार

पृथ्वी के पुत्र का नाम मंगल है। वह पृथ्वी ही से उत्पन्न है। कहते हैं, पृथ्वी और मंगल का पिंड पहले एक ही था। किसी कारण से वह पृथ्वी से टूटकर अलग हो गया और एक नया ग्रह बन गया। छोटा होने के कारण जल्दी ही वह प्राणियों के रहने योग्य हो गया। पृथ्वी पर प्राणियों की बस्ती होने के पहले ही मंगल में हुई होगी, और वहाँ के मनुष्य यहाँवालों की अपेक्षा अधिक सभ्य, समझदार और शिक्षित होंगे। विज्ञानियों का अनुमान ऐसा ही है।

इटली के मारकोनी साहब का नाम पाठकों ने सुना होगा। उन्होंने बेतार की तारबर्क़ी निकाली है। अब उसका प्रचार इस देश में भी हो गया है। उन्होंने प्रतिज्ञा की है कि हमारी बेतार की तारबर्क़ी किसी समय पृथ्वी से मंगल तक बराबर जारी हो जायगी! इसे हँसी न समझिए। मारकोनी साहब सचमुच ही इस बात का दावा करते हैं कि मंगल तक उनका तार कभी-न-कभी ज़रूर लग जायगा। ईथर-नामक पदार्थ, जो हवा से भी पतला है, सारे विश्व में व्याप्त है। उसी की करामात से बेतार की तारबर्क़ी चलती है। हज़ारों कोस दूर देशों में, समुद्र पार करके, इस तार की ख़बरें ज़रा ही देर में पहुँच जाती हैं। नदी, समुद्र, पहाड़, पहाड़ी, जंगल, वियावान, नगर, क़स्बे इत्यादि पार करने में इन ख़बरों को ज़रा भी बाधा नहीं पहुँचती। दो-