बिजली की काफ़ी शक्ति मिलने पर मंगल ही तक नहीं, किंतु उससे भी सौगुना दूर ख़बरें भेजी जा सकेंगी। किसी दिन नेपच्यून नाम के अत्यंत दूरवर्ती ग्रह में भी तार-घर खुल जायगा, और उसका लगाव पृथ्वी से हो जायगा। वही क्यों, कोई भी ग्रह ऐसा न रहेगा, जिस पर तार-घर न हो। पर पहले मंगल ही तक ख़बर भेजने की कोशिश की जायगी; क्योंकि वहाँवाले विज्ञान में बहुत कुशल जान पड़ते हैं, और जल्द अँगरेज़ी सीखकर हमारी खबरों को पढ़ लेंगे, और अपनी भाषा भी हमें जल्द सिखला देंगे। जिस दिन पहले-पहल खबर मंगल में पहुँचेगी, उस दिन शायद हम पर मंगलवाले बेतरह बिगड़ उठे, और हमें खूब झाड़-फटकार बतलावें। वे शायद कह उठे-"अरे मूर्खों, तुम्हें हम लोग हज़ारों वर्ष से पुकार रहे हैं, पर तुम अब जागे हो!"
जुलाई,१९०६
किसी समय विसूवियस पहाड़ के पास, इटली में, एक नगर पांपियाई नाम का था। रोम के बड़े-बड़े आदमी इस रमणीय नगर में अपने जीवन का शेषांश व्यतीत करते थे। हरएक मकान चित्र-कारियों से विभूषित था। इंद्र-धनुष के समान तरह-तरह के रंगों से रँगी हुई दूकानें नगर की शोभा को और भी