पृष्ठ:अन्तस्तल.djvu/१०६

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मृत्यु

तू आ गई? अभी से? पहले से कुछ भी सूचना नहीं दी? बिना बुलाये? बिना जरूरत? ना, तू लौट जा। अब मैं नहीं मरना चाहता।

एक दम सिर पर क्यों खड़ी है? थोड़ा पीछे हट कर खड़ी हो। ठहर, जरा मुझे एक सॉस और लेने दे। गला क्यों घोटे डालती है।

वह तू ही थी? एक बार आँख भर कर तो देख लेने दे, कैसा तेरा रूप है। तुझे तो कितनी बार पुकारा। मन ने कहा था, सब दुःखों की शान्ति तेरे पास है। तब तू न आई थी।