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पृष्ठ:अन्तस्तल.djvu/१८०

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सूर्यास्त

कैसी उदासी से सूर्य अस्त हो रहा है। उन रक्त वर्ण बादलों मे चुपचाप खड़ी तुम, मुझ खिन्न-खंडित और व्यथित की बिदाई के सन्देश का संकेत करती हुई कहां जा रही हो?