पृष्ठ:अन्तस्तल.djvu/२०४

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आँखो से प्यारी चीज जगत में क्या है? सुना है तू अन्धा

है, तब तू सौन्दर्य की सी अमोध परीक्षा कैसे कर लेता है? तू स्वयं ही कैसे अनिन्द्य सुन्दर बना हुआ है? जगत का सौन्दर्य क्या देख कर तुझ पर रीझ जाता है। आश्चर्य है। सुना है तू अन्धों को दिखाई देता है, इतना तो मैं भी कह सकता हूँ कि जब जब तेरी लहर आती है तब तब मुझे कम दीखने लगता है। अंधेरा, उजाला, नर्म, सख्त, नीचा, ऊँचा, ठीक ठीक नहीं मालूम देता, सब एक सा हो जाता है। मुझे भय है, सच कह, क्या तुझ मे मद का सम्पुट है? यदि ऐसा हो, तो तू चाहे जितना प्यारा क्यों न हो मैं तुझे न चाहूँगा। खेद है कि मुझे मद से घृणा है।







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