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पृष्ठ:अन्तस्तल.djvu/२०९

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उस पार

सांझ हो गई, और अब आलोक की आखिरी किरण भी जा रही है। उस पार हमारा घर है और बीच मे यह अपार धार। वहां तो मेरे सब सुख साधन है। फेन सी कोमल शैया, और..... और उसके चारो ओर बिखरा हुआ प्यार, जिसे रोदने मे मेरे तलुओं को सदा सुख मिलता रहा है।

तुम्हारी नाव किधर जा रही है माझी। क्या आज उस पार पहुँचना असम्भव है? आह, वे सब तो मेरी प्रतीक्षा कर रहे होंगे।