पृष्ठ:अन्तस्तल.djvu/६०

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चिन्ता

क्या मैं ऐसा था? मेरा चेहरा ऐसा था? यही मेरा शरीर था? मेरो माता होती तो उससे पुछवाता? कैसा कुन्दन सा रंग था कैसा मॉसल शरीर था। ताऊ जी कहा करते थे―लड़के को किसी भिड़ ततैये ने तो नहीं काट खाया है? ताई उन्हें फट- कार कर कहती थी-वाहिजी! खबरदार जो मेरे छोरे को नजर लगाई है। लाल सिंदूरिया रंग था―आँखें मॉस में घुस गई थीं। स्कूल मास्टर के हजार डाटने पर भी हँसी नहीं रुकती थी। पिता बार बार कहते- अरे बेटा! गम्भीरता से रहो, हरे समय