पृष्ठ:अन्तस्तल.djvu/८२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
घृणा

हटाओ। हटाओ। उसे मेरे सामने से हटाओ। ना। मैं उसे दण्ड नही दूंगा। भगवान् उसे देखेगे। उसके योग्य कोई दण्ड नही है। यह काम मनुष्य की शक्ति से बाहर है। यह मेरा अन्त समय है। जहाॅ जाता हूॅ वहाँ शायद-भगवान् मिले। उसका नाम मत लो। मुझे जरा सुख से मरने दो। उसकी बात मत करो। नीच, स्वार्थी, झूठा, विश्वासघाती, कमीना। उफ, मुझे भुलादो, किसी तरह उसका नाम भुला दो। आग के ॲगारे की तरह यह छाती पर धरा है। घृणित,कुत्ता,खून पीने