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पृष्ठ:अन्तस्तल.djvu/९६

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कैसे पार पड़ेगी? हे भगवान्! हे नाथ! हे दयाधाम! तुम्हीं खिवैया हो! तुम्ही पार लगाने वाले हो! तुम्हारे ही आसरे सब कुछ है। हे भगवान्! हाय राम! हरे! हरे!
















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