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पृष्ठ:अन्तस्तल.djvu/९७

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कर्मयोग

क्या आंख फोड़ देने से देखने की होंस मिट जायगी? बांध कर नदी से दूर डाल देने से क्या पीने की इच्छा ही नहीं रहेगी? वासना की वस्तु को त्याग कर वनवासी होने से क्या वासना से पिण्ड छूट जायगा? बेवकूफ हूँ। विरक्ति किस से? क्या संसार से? अच्छा, संसार छोड़ कर कहां जाऊँ? घर छोड़ कर वन में जा सकता हूं, पर इसी से क्या संसार छूट गया? घर ही संसार है क्या? कैसी बे समझी है। "दिल रंगा नहीं उस रग मे, क्या है कपड़े रंगने मे।" सच बात है। क्रोध, काम, लोभ, मोह मन में बसे हैं। इन्द्रियों को उनका