पृष्ठ:अप्सरा.djvu/१३२

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असरा ____"लो, मैं नहीं कहता था कि मुकदमा दायर है, फैसला छोटी अदालत का ही रहा। चंदन ने हँसते हुए कहा। ___ राजकुमार कुछ न बाला । उसका गांभोयं तारा को अच्छा नहीं लगा। कहा-"यह सब वाहियात है, क्यों रज्जू बाबू, मेरी बात नहीं मानागे ? देखो, मैं तुम्हें यह संबंध करने के लिय कहती हूँ" ____ "अगर यह प्रस्ताव है, तो मैं इसका अनुमोदन और समर्थन करता हूँ", चंदन ने हँसते हुए कहा । चंदन की हँसी राजकुमार के अंगों में तीर की तरह चुभ रही थी। "और अब आज से वह मेरी छोटी बहन है," ताय ने जोर देते हुए ____ "तो मेरी कौन हुई ?" चंदन ने शब्दों को दबाते हुए पूछा । तारा अप्रतिम हो गई। पर सँभलकर कहा-'यह दिल्लगी का वक्त नहीं है। चंदन चुपचाप लेट गया। दूसरी तरफ़ से राजकुमार को खोदकर फिसफिसाते हुए कहा- आप कर क्या रही हैं ?" ___“यार, तुम्हारा लड़कपन नहीं छूटा अभी ।" राजकुमार ने डॉट दिया। ___ चंदन भीतर-ही-भीतर हँसते-हँसते फूल गया, तारा नीचे उतर गई। एक बार तारा को झाँककर राजकुमार से कहा- तुम्हारा जवानपन बलवला रहा है, यह तो देख ही रहा हूँ।" ___ तारा नोबे से लाटा और एक साड़ो लेकर आ रही थी। राजकुमार के कमरे में आकर कहा-"नहा डालो रज्जू बाबू, देर हो रही है, भोजन तैयार हो गया होगा।" __“आज नहाने को इच्छा नहीं है।" व्यथं तबियत खराब करने से क्या फायदा ?" हँसती हुई न नहाने से यह बला टन थोड़े ही सकती है " 'उठो, अघोर-पंथ से घिनवाकर लोगों को भगाओगे क्या ? जैसा पाला साबन और एसेंस-पंथियों से पड़ा है, तुम्हारे अघोर-पंथ के भूत उतार दिए जायेंगे। चंदन ने पड़े हुए कहा।