पृष्ठ:अप्सरा.djvu/१४८

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अप्सरा राजकुमार उतना ही दवना जा रहा था। तारा ने फिर कोई आग्रह विवाह आदि के लिये नहीं किया। चंदन भो दो-एक बार उसे दाप देकर चुप रह गया । हाँ, कुछ देर तक मनोवैज्ञानिक बातचीत की थी, जिससे राजकुमार को भी अपनी त्रुटि मालूम हा रही थीं। पर कनक ने इधर जिस तेजी से, संबंध-रहित की तरह, बिल्कुल खुलो हुई वातचीत की, इससे चंदन के प्रसंग पर अत्यंत संकोच और हेठी के कारण राजकुमार हारफर भी विवाह की बात स्वीकृत नहीं कर रहा था। उस समय कनक को जो कुछ आनंद मिला था, वह केवल चंदन की बातचीत से । नाराज थी कि उसके इस प्रसंग का इतना बड़ाव किया जा रहा है। सत्य-प्राप्ति के बाद जैसे सत्य की बहस केवल तकरार होती है, हृदय-शून्य, ये तमाम बातें कनक को वैसी ही लग रही थीं । राजकुमार के प्रति तारा के हृदय में अनादर था, और कनक के हृदय में दुराव। चारा एक-एक बेंच पर बैठे थे। तारा थक रही थी। लेट रही। चंदन ने स्टेशन पर और यहाँ जितनी शक्ति खर्च की थी, उसके लिये विश्राम करना आवश्यक हो रहा था । वह भी लेट रहा। हवा, नहीं लग रही थी इसलिये उठकर मरोखे खालकर फिर. लट रहा। राजकुमार बैठा हुआ सोच रहा था । कनक बैठी हुई अपने भविष्य की कल्पना कर रही थी, जहाँ केवल भावना-ही-भावना थी, सार्थक शब्द-जाल कोई नहीं । बड़ी देर हो गई। गाड़ी पूरी रफ्तार से चली ना रही थी । उठकर चंदन की किताब उठाकर कनक पढ़ने लगी। ताय और चंदन सो गए। ____ राजकुमार अपने गत जीवन के चित्रों को देख रहा था। कुछ संस्मरण लिखने के लिये पाकेट से नोटबुक निकालकर लिखने लगा। एक विचित्र अनुभव हुआ, जैसे उसकी तमाम देह बँधी हुई खिंची जा रही हो, कनक की तरफ़, हर अंग उसके उसी अंग से बँधा हुआ। जोर लगाना चाहा, पर जैसे कोई शक्ति ही न हो । इच्छा का वाष्प