पृष्ठ:अप्सरा.djvu/१७२

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अप्सरा ६५ कुछ अधिक रुपए उसने जमा कर रक्खे हैं। यह सब कनक की संपत्ति है। राजकुमार को दहेज के रूप में कुछ देने के लिये कुछ रुपए उसने आज निकाले हैं। बैठी हुई इसी.संबंध में सोच रही थी कि कनक की गाड़ी पहुंची। ____ कनक राजकुमार और चंदन को लेकर पहले माता के कमरे में गई। दोनो को वहीं छोड़कर ऊपर अपने कमरे में चली गई। कनक को माता के विचार मालूम थे। सर्वेश्वरी ने बड़े आदर से उठकर राजकुमार और चंदन को एकएक सोफे पर बैठाया । गट्टी छोड़कर खुद फर्श पर बैठी । अपने भविष्य के विचार दोनो के सामने प्रकट करने लगी। ___कनक भोजन पका रही थी। जो कार्य उसका अधूरा रह गया था, आज चंदन के आने की वजह दूने उत्साह से पूरा कर रही थी। इंतजाम इनके आने से पहले ही कर रखा था। मड़द करनेवाले नौकर थे। उसे घंटे भर से ज्यादा देर नहीं लगी। एक साथ कई चूल्हें जलवा दिए थे। ___सर्वेश्वरी ने कहा-'पहले मेरा विचार था, कुँवर साहब पर मुकदमा चलाऊँ कुछ रोज कनक को गायब करके, पर कनक की राय नहीं, इसलिये वह विचार रोक देना पड़ा। वह कहती है, ( राजकुमार की तरफ़ इंगित कर) आपकी बदनामी होगी।" __"इस समय सहन करने की शक्ति बढ़ाना ज्यादा अच्छा है।" चंदन ने कहा, और अनेक बातें लुप्त रखकर, जिससे उसके शब्दों का प्रभाव बढ़ रहा था। "मैं अब काशी रहना चाहती हूँ, यह मकान भैया के लिये रहेगा।" "यह तो बड़ी अच्छी बात है। चंदन ने कहा, "मैया तो कल ही बनारस जा रहे हैं। लेकिन शायद आपको न ले जा सकें, और आपको साथ की जरूरत भी नहीं; मेरी मा को लिए जा रहे हैं। अंत समय काशी रहना-धर्म और स्वास्थ्य, दोनो के लिये फायदेवर है।" चंदन की चुटकियों से सर्वेश्वरी खुश हो रही थी, उसके दिल के