पृष्ठ:अप्सरा.djvu/३३

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अप्सरा

_ मोटर पर बैठकर ड्राइवर से पार्क स्ट्रीट चलने के लिये कहा। कितनी व्यग्रता ! जितने भी दृश्य आँखों पर पड़ते हैं, जैसे विना प्राणों के हों । दृष्टि कहीं भी नहीं ठहरती । पलकों पर एक ही स्वप्न संसार की अपर कल्पनाओं से मधुर हो रहा है। व्यग्रता ही इस समय यथार्थ जीवन है, और सिद्धि के लिये वेदना के भीतर से काम्य साधना । अंतर्जगत् के कुल अंधकार को दूर करने के लिये उसका एक ही प्रदीप पर्याप्त है। उसके हृदय की लता को सौंदर्य की सुगंध से भर रखने के लिये उसका एक हो फूल बस है। तमाम भावनाओ के तार अलग-अलग स्वरों में झंकार करते हैं। उसकी रागिनी से एक ही तार मिला हुआ है। असंख्य ताराओं की उसे आवश्यकता नहीं, उसके झरोखे से एक ही चंद्र की किरण उसे प्रिय है। तमाम संसार जैसे अनेक कलरखों के बुबुद-गीतों से समुद्वेलित क्षब्ध और पैरों को स्खलित कर बहा ले जानेवाला विपत्ति-संकुल है। एक ही बए को हृदय से लगा तैरती हुई वह पार जा सकेगी। सृष्टि के सब रहस्य इस महाप्रलय में डूब गए हैं, उसका एक ही रहस्य, तपस्या से प्रास अमर वर की तरह, उसके साथ संबद्ध है। शंकित दृष्टि से वह इस प्रलय का देख रही है। __पाक स्ट्रोट आ गया। कैथरिन के मकान के सामने गाड़ी खड़ी करवा कनक उतर पड़ी। नौकर से खबर भेज दी । कैथरिन अपने बँगले से निकल आई, और बड़े स्नेह से कनक को मीतर ले गई। कैथरिन से कनक की अँगरेजी में बातचीत होती थी। आने का कारण पूछने पर कनफ ने साधारण कुल किस्सा बयान कर दिया ।

कैथरिन सुनकर पहले कुछ चिंतित हो गई। फिर क्या सोचकर मुस्किराई। प्रेम की सरल बातों से उसे बड़ा आनंद हुआ। "तुम्हारा विवाह चर्च में नहीं, थिएटर में हुआ; तुमने एक नया काम किया। उसने कनक को इसके लिये धन्यवाद दिया। .

"कल पेशी है। कनक उत्तर-प्राप्ति की दृष्टि से देख रही थी। "मेरे विचार से मिस्टर हैमिल्टन के पास इस समय जाना ठीक