अप्सरा २६ युवती से, विना परिश्रम के ही, कैथरिन उन्हें मिला सकती हैं, ऐसा शुभ अवसर छोड़ देना उन्होंने किसी सुंदरी के स्वयंवर में बुलाए जाने पर भी लौट आना समझा । कैथरिन ने यह भी कहा था कि आज अवकाश है, दूसरे दिन इतनी सुगमता से भेंट भी नहीं हो सकती। साहब तत्काल कैथरिन के साथ चल दिए थे। रास्ते में कैथरिन ने समझा दिया था कि किसी अशिष्ट व्यवहार से वह अँगरेज-जाति का फलंकित नहीं करेंगे, और यदि उसे अपने प्रेम में ला सकें, तो यह जाति के लिये गौरव की बात होगी। साहब दिल-ही-दिल प्रम की परीक्षा में कैसे उत्तीर्ण होंगे, इसका प्रश्न-पत्र हल कर रहे थे। तब तक ऊपर से कनक ने बुला भेजा। ___ कैथरिन आगे-आगे, साहब पीछे-पीछे चले । साहब भी मर्दानी पोशाक से खूब लैस थे। चलते समय चमड़े के कलाई-बंद में बँधी हुई घड़ी देखी। बारह बज रहे थे। ___ नौकर दोनो को तिमंजिले पर ले गया। मकान देखकर साहब के दिल मे देख सुंदरी के प्रति इज्जत पैदा हुई थी, कमरा देखकर साहब आश्चर्य में पड़ गए । सुंदरी को देखकर साहब के होश उड़ गए। दिल में कुछ घबराहट हुई । पर कैथरिन कनक से बातचीत करने लगी, तो कुछ सँभल गए। सामने दो कुर्सियाँ पड़ी थीं। कैथरिन और साहब बैठ गए । यों दूसरे दिन उठकर कनक कैथरिन से मिलती थी, पर आज वह बैठी ही रही । कैथरिन इसका कारण समझ गई । साहब ने इसे हिंदोस्तानी कुमारियों का ढंग समझा । कनक ने सूरत से साहब को पहचान लिया। पर साहब उसे नहीं पहचान सके। तब से इस सूरत में साज के कारण बड़ा मत था। साहब अनिमेष आँखों से उस रूप की सुधा पीते रहे। मन-ही-मन उन्होंने उसकी बड़ी प्रशंसा की। उसके लिये, यदि वह कहे तो, साहब सर्वस्व देने को तैयार हो गए । श्रीमती कैथरिन ने साहब को समझा दिया था कि उसके कई अँगरेज प्रेमी हैं, पर अभी उसका किसी पर प्यार नहीं हुआ, यदि वे उसे पास कर सके, तो राजकन्या के साथ
पृष्ठ:अप्सरा.djvu/३६
दिखावट