अप्सरा मयना सामने खड़ी हो गई। "गाड़ी जल्द तैयार करना । रात ही को, राजकुमार के चले जाने के बाद, कनक ने गहने उतार डाले थे। जिस वन में थी, उसी में, जूते पहन, खटाखट नीचे उतर गई। इतना जोश था, जैसे तबियत खराब हुई ही नहीं। 'खोजने जाऊँ ? नः।" नीचे मोटर तैयार थी, बैठ गई। "किस तरफ चलें ?" ड्राइवर ने पूछा। राजकुमार की मोटर सियालदह की ओर गई थी। उसी तरफ देखती रही। "इस तरफ। दूसरी तरफ, वेलेस्ली स्कायर की तरफ चलने के लिये कहा। ___ मोटर चल दी। धर्मतल्ला मोटर पहुँची, तो बाएँ हाथ चलने के लिये कहा । वह राह भी सियालदह के करीब समाप्त हुई है। नुकड़ पर पहुँची, तो स्टेशन की तरफ चलने के लिये कहा। ___ कनक ने राजकुमार की मोटर का नंबर पीछे से देख लिया था। सियालदह स्टेशन पर कई मोटरें खड़ी थीं। उतरकर देखा, उस मोटर का नंबर नहीं मिला। कलेजे में फिर नई लपटें उठने लगीं। स्टेशन पर पूला, क्या अभी.कोई गाड़ी गई है.१ "सिक्स अप एक्सप्रेस गया।" "कितनी देर हुई ?" "सात-पाँच पर छूटता है।" खड़ी रह गई। "कैसी आदमियत ! देखा, पर मिलना उचित नहीं समा । और मैं, मैं पीछे लगी फिरती हूँ। बस । अब, अब मेरे पैरों भी पड़े, तो मै उधर देखू नहीं। कनक चिंता में डूब रही थी। भीतर-बाहर, पृथ्वी-अंतरिक्ष सब जगह जैसे आग लग गई है। संसार आँखों के सामने रेगिस्तान की तरह तप रहा है। शक्ति का. सौंदर्य का एव
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