पृष्ठ:अभिधर्म कोश.pdf/१४८

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अभिधर्मकोश सबका पिता हूँ।" पश्चात् अश्वजित् को पर्षत् से जाने के लिए कहकर उनको परामर्श दिया कि शास्ता के पास जा कर पूछो। हमने देखा है कि कितने चैत्त तीन धातुओं के प्रत्येक प्रकार के चित्त से संप्रयुक्त होते हैं। हमें पूर्वोक्त चैत्तों का लक्षण बताना है। अहोरगुस्तावी भयादर्शित्वमत्रपा। प्रेम श्रद्धा गुरुत्व होस्ते पुनः कामरूपयोः ॥३२॥ [१७०] अह्री और अनपत्राप्य में क्या भेद है ? ३२ ए. अह्री अगुरुता है ।' स्व-पर-सान्तानिक (मैत्री-करुणादि) गुणों के प्रति तथा गुणवान् पुद्गलों के प्रति (आचार- गोचरगौरवादिसंपन्न) अगौरवता अर्थात् अप्रतीशता' , अभयवशतिता आह्रीक्य, अही है। यह गौरव-(सगौरवता, सप्रतीशता, सभयवशवर्तिता)--प्रतिद्वन्द्व चैतसिक धर्म है । ३२ ए-बी. अनपत्राप्य या अनपा वह धर्म है जिसके योग से एक पुद्गल अवद्य का अनिष्ट फल नहीं देखता । 'अवद्य' वह है जो सत्पुरुषों से गहित है । 'अनिष्ट फल' को कारिका में 'भय' कहा है क्योंकि यह अनिष्ट फल भय उत्पन्न करते हैं। उस पुद्गल का भाव जो अवद्य में भय नहीं देखता-वह धर्म जो इस भाव को उत्पन्न करता है अनपत्राप्य या अत्रपा है । आक्षेप-आप 'अभयदर्शित्व' का क्या अर्थ समझते हैं ? चाहे आप 'अभयस्य दर्शित्वम् या 'भयस्य अदर्शित्वम्' जो अर्थ करें इन दो व्याख्यानों में से कोई भी संतोषप्रद नहीं है । प्रयम विकल्प में क्लिष्ट प्रज्ञा है। दूसरे विकल्प में अविद्या मात्र है। अभयदर्शित्व से न 'दर्शन' (क्लिष्ट प्रज्ञा) प्रदर्शित होता है और न 'अदर्शन' (अविद्या)। यह एक विशेष धर्म को सूचित करता है जिसकी गणना उपक्लेशों में (५.४६) है, जो मिथ्या- दृष्टि और अविद्या का निमित्त है और जिसे अनपत्राप्य (विभाषा, ३४, १९) कहते हैं । ६१७१] अन्य आचार्यो के अनुसार आह्रोक्य अवद्य-करण में आत्मापेक्षया लज्जा का अभाव है। २ ५ दोघ, १.२१९ और नीचे ४.८ ए, ५.५३ ए-बी से तुलना कीजिये । १ अहोरगुरुता--ज्ञानप्रस्थानः १.५ (तकाकुसु पृ० ८७ के अनुसार) प्रतीश = गुरु, क्योंकि शिष्यं प्रतीष्टः व्या० १३६.१३] 3 अवद्येऽभयदर्शित्वम् अत्रपा । [व्या० १३६.२०] अधिशील के लक्षण से तुलना कीजिये. ..अणुमात्रेष्वपि अवयेषु भयदर्शी..... १ यह आचार्य कहते हैं कि 'हो' और 'त्रम् (धातुपाठ, ३.३ और १.३९९) यह दो घातू एकार्यवाचक हैं और इनका अर्थ लज्जा है। इससे हम नहीं समझते कि किस प्रकार अही अवद्यकरण में अगौरवता है और अत्रपा अभयशित्व है । हो और अपना य ललित, ३२ ।