पृष्ठ:अमर अभिलाषा.djvu/२४५

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उपन्यास में काला झपटा लिये गवर्नर की कोठी पर जा-सही हुई। सब से धागे मुशीला शौर गृहिणी पी। गवर्नर ने तत्काल दोनों को भीतर युला भेजा, और चादरपूर्वक पैठाकर कहा- "पाप लोगों का उद्देश्य क्या है?" "हम चाहती है, स्त्री-जाति को मय प्राप्त हो।" "नियां ज्यों-ज्यों योग्य यनेंगी, अभय होंगी।" "योग्य बनने के लिये उन्हें नगर में अखतर रहना भाव- श्यक है। "यह तो साय है।" "इसके लिये सरकार का फनपीपलीक रहना चाहिये ।" "सरकार पया-मन्भव ऐसा करती है।" "फिर भी भारतीय नियों पररित हैं। अंग्रेजी कानून उनकी यथार्थ रक्षा नहीं पर मफना, जैसाकि वह अंग्रेज मी का इंग्लैण्ड और सारी पृथ्वी पर फरता है।" "मैं यह अनुभव करता हूँ। वास्तव में कानून एफ ऐसी वस्तु, निमफा पदव मंशोधन होता रहेगा।" "फिर जब तक मानून पूर्ण हो, धाग्म-रक्षा का क्या उपाय किया नाय " "याम-रशा के लिये अपराध मानून में अन्य है।" "चाहे यह अपराध जून ही हो?" "अवश्य "और यह अपराध यदि अभिभावक ने किया हो?" ,