पृष्ठ:अमर अभिलाषा.djvu/४१

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उपन्यास गई। मनुष्य ने उसका हाथ पकडकर कहा-"जाती कहाँ हो, जरा बात सुन लो, फायदे की यात है।" पालिफा ने कुछ कहा नहीं। वह पुरुप की योर ताकने लगी। पुरुष ने कहा-"देखो, राजा साहच वैसे सुन्दर और सजीले है; वेली-जान से तुम पर मोहित हैं। यस, तकदीर खुली हुई समझ, और मेरे साथ चल, थान से ही रानी की तरह रह ।" एक-दम इतनी यातें ! बिल्कुल अपूर्व, पर बिल्कुल सह ! बालिका लोटकर भागी। मनुष्य ने लपककर हाय पकड़ लिया। पालिका जोर करने और चिल्लाने लगी। श्रव उसने उसके मुँह में कपड़ा हूँस दिया। लदफी पथा-शक्ति हाथ-पैर मारने लगी, पर वह यलिष्ठ पुरुष उसे पकड़े हुए था। निकट एक गाड़ी तैयार सदी थी। मनुष्य ने इशारा करके बुलाया। हाद एक युवफ उस मनुष्य पर टूट पड़ा। लड़की उसके हाथ से छूटकर अलग जा पड़ी दोनों गुथ गये, और उनमें खूब चोटें घटकने लगीं। लड़की ने दुष्ट के हाथ से छूटते ही विहाना शुरू किया। तीन-चार भादमी और भागये, श्रीर भाग गया। युवक ने अपने कपड़े माइकर देखा यालिफा एक ओर खड़ी है। उसने उसके पास पहुंचकर कहा-"तुम्हारा घर कहाँ है ? चलो, मैं पहुंचा दूं।" मालिका चुपचाप चलदी। पीछे-पीछे युवक चल दिया। घर मागया। अब किराये का भय थधिक न था क्योंकि उससे अधिक मय उसने देख लिया था । वह घर में घुसी, युवक