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अयोध्या का इतिहास

देना।" यह कह कर भगवान् तो अन्तर्धान हो गये और मनु योगाभ्यास करने लगे। . . .

ईसाइयों की इंजील में प्रलय का जो वर्णन है उसका संक्षेप उत्पत्ति की पुस्तक से नीचे उद्धृत किया जाता है।

अध्याय ६। ५। ६,७,८

"ईश्वर ने देखा कि पृथिवी पर पाप बढ़ा और मनुष्य का ध्यान पाप ही पर रहा।

"तब ईश्वर पछताया कि हमने पृथिवी पर मनुष्य क्यों बनाया, और वह दुखी हुआ।

"तब ईश्वर ने कहा कि जिस मनुष्य को हमने बनाया उसका नाश कर देंगे, मनुष्य पशु पक्षी कीड़े मकोड़े सब का। हम सब को बनाकर पछता रहे हैं।

"परन्तु ईश्वर की कृपा दृष्टि नूह पर थी।

***

"नूह ईश्वर के साथ चला करता था।

"नूह के तीन बेटे थे शैम, हैम और जाफ़त।

***

"तब ईश्वर ने नूह से कहा कि . . . तुम गोफर (?) लकड़ी की नाव बनाओ और भीतर बाहर राल पोत दो।

"नाव ३०० हाथ लम्बी हो, ५० हाथ चौड़ी हो और ३० हाथ ऊँची हो।

***

"हम पृथिवी पर जलप्रलय करेंगे।

"परन्तु तुम्हारे साथ हमारा अहदनामा (अभिसन्धि) होगा तुम नाव में अपनी स्त्री अपने बेटों और बहुओं के साथ बैठ जाना।

मांसधारी जो जीव हैं स्त्री और पुरुष दो दो को अपने साथ जीता रखना।