(९) पृथु—महाभारत में लिखा है कि पृथु ने सबसे पहले धरती चौरस की इसी से यह पृथ्वी कहलाती है। हरिवंश में इससे कुछ भिन्न लिखा है और कुमारसम्भव में भी इसका उल्लेख है। इस काव्य में पृथ्वी गाय है, इससे देवताओं ने हिमालय को बछरा बना कर चमकते रत्न और औषधियाँ दुही थीं। ऐसा समझ में आता है कि पृथु ही ने धरती पर हल चलाना सिखाया था जैसा कि ईरानियों में जमशेद ने किया था।
(१०) श्रावस्त—इसने श्रावस्ती नगरी बसाई जिसका भग्नावशेष, बलरामपुर से बहराइच जानेवाली सड़क पर राप्ती के किनारे अब भी महेत के नाम से प्रसिद्ध है।
(१२)—कुवलयाश्व—इसने उज्जालक समुद्र के पास धुंधुराक्षस को मारा इसी से यह धुंधुमार नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस युद्ध में इसके बहुत से बेटे मारे गये थे।
(२०) युवनाश्व द्वितीय—इसने पौरव वंश के राजा मतिनार की बेटी गौरी के साथ विवाह किया। यह शक्तिशाली राजा था। (वंशावली उपसंहार से उद्धृत)
(२१) मान्धाता—यह बड़ा प्रतापी राजा था। इसके विषय में विष्णुपुराण में लिखा है कि "जहां से सूर्य उदय होता है और जहाँ अस्त होता है उसके अन्तर्गत सारी पृथ्वी युवनाश्व के बेटे मान्धाता की है।" यह राजर्षि था। हम ऊपर लिख चुके हैं कि ऋग्वेद ८,४३,९ का यही ऋषि है।