कर लिया था। जब यज्ञ होने लगा तो बलि के लिये शुनःशेप को किसी ने यूप में बाँधना भी स्वीकार न किया। इससे प्रकट है कि यह बलि किसी को अपेक्षित'न थी, यहाँ तक कि वह लोग भी न चाहते थे जो रोहित के प्राणों के गाहक थे। विश्वामित्र ने कहा कि सुर मुनि इसकी रक्षा करें। शुनःशेप का बलिदान आदि ही से नाममात्र को था। वह छोड़ दिया गया और विश्वामित्र ने उसे अपना पुत्र मान लिया।
(३३) रोहित—कहा जाताहै कि इसने रोहित (रोहितास)*[१] नगर बसाया था।
(३९) वाहु—यह हैहयों और तालजंघो से पराजित होकर स्त्री समेत और्व भार्गव के तपोवन को चला गया और वहीं मर गया। उसकी रानी के उसी बनवास में सगर नाम पुत्र हुआ जिसको और्व ने शिक्षा दी।
(४०) सगर—यह बड़ा प्रतापी राजा था। उसने पहले तो हैहयों और तालजंघों को मार भगाया फिर शकों, यवनो, पारदों और पह्नवों को परास्त किया। यह लोग वसिष्ठ की शरण आये। वसिष्ठ ने इनको जीवनमृतप्राय कर दिया और सगर से कहा कि इनका पीछा करना निष्फल है। राजा सगर ने कुलगुरु की आज्ञा से इनके भिन्न वेष कर दिये, यवनों के मुंडित शिर शकों को श्रद्ध मुण्डित पारदों को प्रलम्बमान-केशयुक्त और पह्नवों को श्मश्रुधारी बना दिया। यह लोग म्लेच्छ होगये।
सगर के एक रानी विदर्भगज कुमारी केशिनी और एक कश्यप की बेटी सुमति भी थी। सगरने विदर्भ पर भी आक्रमण किया, परन्तु विदर्भराज ने अपनी बेटी केशिनी उसे देकर सन्धि कर ली। केशिनी
- ↑ यह नगर बिहार प्रान्त में है। इसका किला बहुत प्रसिद्ध है।
+यदुवंशी क्षत्रिय हैहय वंशियों की राजधानी माहिष्मती थी। इस कुल का सबसे प्रसिद्ध राजा कार्तवीर्य अर्जुन हुआ था जिसे परशुराम ने मारा था।