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पृष्ठ:अयोध्या का इतिहास.pdf/१७३

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अयोध्या का इतिहास


इस वंश का अन्तिम राजा जयचन्द्र भी बड़ा प्रतापी राजा था उसके नाम के दो शिलालेख मिले हैं, एक फै़ज़ाबाद में मिला था जिसमें सं० १२४४ में उसने कुमाली गाँव भारद्वाज गोत्र के ब्राह्मण अलंग को दिया था। इस दानपत्र में विष्णु और लक्ष्मी देवता हैं। दूसरा दानपत्र इलाहाबाद में थोड़े दिन हुये मिला है। इसमें जयचन्द्र, परमभट्टारक इत्यादि राजावली पंचतयोपेत, अश्वपति, गजपति, नरपति, राजत्रपाधिपति, विविध-विद्या-विचार-वाचस्पति कहा गया है।

सन् ११९५ में जयचन्द्र मुहम्मद ग़ोरी से लड़ा। उसका हाथी उसे रणभूमि से लेकर भागा और गंगा में डूब गया। जयचन्द्र के मरते ही हिन्दू साम्राज्य का सूर्य अस्त हो गया।