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अयोध्या का इतिहास

वि० १२०७ में अलाउद्दीन हुसेन ने सात दिन रात ग़ज़नी को लूटा और कुछ क़ब्रें छोड़ कर सारा नगर नष्ट कर दिया। अलाउद्दीन के मरने पर उसका बेटा राज्य का उत्तराधिकारी हुआ परन्तु वह भी साल ही भर पीछे मार डाला गया और मुहम्मद बिन साम ग़ोर का शासक बना। मुहम्मद बिन साम और पृथ्वीराज की लड़ाइयों की हार से अयोध्या के इतिहास का इतना ही सम्बन्ध है कि उस समय अयोध्या कन्नौज के गहरवारों के आधीन थी और गहरवारों के परास्त होने पर अयोध्या मुसलमानों के अधिकार में आ गई। इसी समय मख़दूम शाह जूरन ग़ोरी जो अपने भाई सुल्तान मुहम्मद ग़ोरी के साथ भारतवर्ष में आया था, एक छोटी सी सेना ले कर अयोध्या पहुँचा। सनातन-धर्मियों की तो उसने कोई हानि नहीं की परन्तु आदि नाथ के मन्दिर को नष्ट कर दिया। इसका कारण यही हो सकता है कि जैन लोगों को सनातन धर्मियों से कुछ सहायता न मिली और हिन्दू जो जैन मन्दिरों का घण्टा सुनना पातक समझते हैं, जैन मन्दिर नष्ट होने पर प्रसन्न ही हुये होंगे। कहा जाता है कि अयोध्या के बकसरिया टोले में अब भी जूरन के वंशज रहते हैं। मन्दिर फिर से बन गया है परन्तु मन्दिर की चढ़ौती मुसलमान ही लेते हैं।