पृष्ठ:अलंकारचंद्रिका.djvu/११

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अनुप्रास

झूठी झिलमिल की झलक ही मैं भूलो जल,
मल की पखाल खल खाली खाल पाली तैं॥

बावन से रावन सहे रामजू सों खेलि खेलि खलनि को खालनि खिलौना ज्यौं खिलाइगे। काटे काल व्याल ऐसे बली बलभद्र ऐसे बली ऐसे बालि से बबूला से बिलाइगे॥

इन उदाहरणों में र, ख, और ल, की अनेक आवृत्तियाँ हैं।

नोट—छेक और वृत्ति अनुप्रासों को अँगरेजो में Alliteration कहते हैं। नीचे लिखा हुआ उदाहरण शेक्सपियर ने लार्ल ऊलजी को लक्ष्य करके बहुत अच्छा लिखा है।

Begot by butcher by bishop bread,
How high His Highness holds his haughty head.
पुनः—जप माला छापा तिलक, सरै न एको काम।
मन काँचे नाँचे बृथा, साँचे राँचे राम॥

(ग)—श्रुत्यनुप्रास

दो॰—जहाँ तालु कंठादि की, व्यंजनसमता होय।
सोई श्रुत्यनुप्रास है, कहत सुघर कवि लोय॥

विवरण—जहाँ तालु कंठादि स्थानों से उच्चरित होनेवाले व्यंजनों की अर्थात् एक स्थान से उच्चरित होनेवाले वर्णों की समता हो उसे श्रुन्यनुप्रास कहते हैं।

स्मरण रहना चाहिये कि—

(१) अ, आ, क, ख, ग, घ, ङ, ह और (:) विसर्ग का उच्चारण कंठ से होता है।

(२) इ, ई, च, छ, ज, झ, ञ, य और श का उच्चारण तालु से होता है।