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अहङ्कार

पापनाशी ने उत्तर दिया—ईश्वरको जैसी आज्ञा!

फिर आवाज आई—

'पापनाशी, उठ जा, और विधर्मी कान्सटेन्स को उसके राज्यप्रासाद मे सद्मार्ग पर ला, जो अपने पूज्य बंधु कान्सटेनटाइन का अनुकरण न करके एरियस और मार्कस के मिश याबाद में फँसा हुआ है । जा, विलम्ब न कर । अष्टधातु के फाटक तेरे पहुँ- चते ही आप ही आप खुल जायेंगे, और तेरी पादुकाओं की ध्वनि, कैसरों के सिंहासन के सम्मुख, सजे भवन को स्वर्णभूमि पर प्रतिध्वनित होगी, और तेरी प्रतिभामय वाणी काल्सटेनटाइन्स के पुत्र के हृदय को परास्त कर देगी। संयुक्त और अखंड ईसाई साम्राज्य पर राज्य करेगा। और जिस प्रकार जीव देह पर शासन करता है, उसी प्रकार ईसाई धर्म साम्राज्य पर शासन करेगा धनी, रईस, राज्याधिकारी, राज्यसभा के सभासद सभी तेरे अधीन हो जायेंगे । तू जनता को लोभ से मुक्त करेगा और असश्य जातियों के श्राक्रमणों का निवारण करेगा। वृद्ध कोटा जो इस समय नौका विभाग का प्रधान है, तुझे शासन का कर्ण- धार बना हुआ देखकर देरे चरण धोयेगा। तेरे शरीरान्त होने पर तेरी मृतदेह इस्कन्द्रिया जायेगी और वहाँ का प्रधान मठधारी उसे एक ऋषि का स्मारक चिन्ह समझकर उसका चुम्बन करेगा 'जा!'

पापनाशी ने उत्तर दिया—ईश्वर की जैसी आज्ञा!

यह कहकर उसने उठकर खड़े होने की चेष्टा की, किन्तु उस आवाज ने उसकी इच्छा को ताड़ कर कहा—

सबसे महत्व की बात यह है कि तू सीढ़ी द्वारा मत उतर। यह तो साधारण मनुष्यों की-सी बात होगी। ईश्वर ने तुझे अद्- भुत शक्ति प्रदान की है । तुझ जैसे प्रतिभाशाली महात्मा को वायु