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अहङ्कार

थायस का मुखचन्द्र इस शोकावस्था में और भी मधुर हो गया था, जैसे मेघ के हलके आवरण से चन्द्रमा। दर्शकवृन्द को उसने जीवन के आवेशों और भावों का कितना अपूर्व चित्र दिखाया। इससे सभी मुग्ध थे। आत्मसम्मान, धैर्य्य, साहस आदि भावों का ऐसा अलौकिक, ऐसा मुग्धकर दिग्दर्शन कराना थायस ही का काम था। यहाँ तक कि पापनाशी को भी उसपर दया आ गई। उसने सोचा, यह चमक-दमक अव थोड़े ही दिनों के और मेहमान हैं, फिर वो यह किसी धर्माश्रम में तपस्या करके अपने पापों का प्रायश्चित करेगी।

अभिनय का अन्त निकट आ गया। हेक्युवा मूर्छित होकर गिर पड़ी, और पालिक्सेना उलाइसेस के साथ समाधि पर आई। योद्धागण उसे चारों ओर से घेरे हुए थे। जब वह बलिवेदी पर चढ़ी तो एशिलीन के पुत्र ने, एक सोने के प्याले में शराब लेकर, समाधि पर गिरा दी। मातमी गीत गाये जा रहे थे। जब वलि देने वाले पुजारियों ने उसे पकड़ने को हाथ फैलाया तो उसने संकेत द्वारा बतलाया कि मैं स्वच्छन्द रहकर मरना चाहती हूँ, जैसा कि राज्यकन्याओं काधम है। तब अपने वस्त्रों को उतारकर वह वज्र को हृदयस्थल में रखने को तैयार हो गई। पिर्रसने सिर फेर कर अपनी तलाशर उसके वक्षस्थल में भोंक दी। रुधिर की धारा बह निकली। कोई लाग रखी गई थी। थायस का सिर पीछे को लटक गया, उसकी आँखें तिलमिलाने लगी और एक क्षण मे वह गिर पड़ी।

योद्धागण वो बलि को कफन पहना रहे थे। पुष्पवर्षा की जा रही थी। दर्शकों के प्रार्तध्वनि से हवा गूँज रही थी। पापनाशी उठ खड़ा हुआ और उच्चस्वर से यह भविष्यवाणी की—

मिथ्यावादियो, और प्रेत्रों के पूजनेवालो! यह क्या भ्रम