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अहङ्कार

था, और सभी में उस शक्ति और विचारशीलता का सचार कर देता था जो उसके रोम-रोम में व्याप्त थी। गुलामों के साथ असा- धारण कठोरता का व्यवहार किया गया था। इससे भयभीत होकर किसने ही धर्म-विमुख हो गये, और अधिकांश जगल को भाग गये। वहाँ यातो के साधु हो जायेंगे या डाके मारकर निर्वाह करेंगे। लेकिन अहमद पूर्ववत् इन सभाओं में सम्मिलित होता, क़ैदियों से भेंट करता, आहत पुरुषों का क्रिया-कर्म करता, और निर्भय होकर ईसाई धर्म की घोषणा करता था। प्रतिमाशाली एन्थोनी अहमद की यह दृढ़ता और निश्चलता देखकर इतना प्रसन्न हुआ कि चलते समय उसे छाती से लगा लिया और उसे बडे प्रेम से आशीर्वाद दिया।

जब थायस सात वर्ष की हुई तो अहमद ने उससे ईश्वर- चर्चा करनी शुरू की। उसकी कथा सत्य और असत्य का विचित्र मिश्रण लेकिन बाल्यहृदय अनुकूल थी।

ईश्वर फिरजन की भाँति, स्वर्ग में, अपने हरम के खेमों और अपने बाग़ के वृक्षों की छाँह मे रहता है। वह बहुत प्राचीन काल से वहाँ रहता है, और दुनिया से भी पुराना है। उसके केवल एक ही बेटा है, जिसका नाम प्रभु ईसू है। वह स्वर्ग के दूतों से और रमणी युवतियों से भी सुन्दर है। ईश्वर उसे हृदय से प्यार करता है। उसने एक दिन प्रभु मसीह से कहा—मेरे भवन और हरम, मेरे छुहारे के वृक्षों और मीठे पानी की निदियों को छोड़ कर पृथ्वी पर जामोऔर दीन-दुखी प्राणियों का कल्याण करो! वहाँ तुझे छोटे चालक की भाँति रहना होगा। वहाँ दुःख ही तेरा भोजन होगा और तुझे इतना रोना होगा कि तेरी आँसुओं से नदियाँ बह निकलें जिनमें दीन-दुखी जन नहाकर अपनी अकल को भूल जायँ। जाओ प्यारे पुत्र!