पृष्ठ:अहिंसा Ahimsa, by M. K. Gandhi.pdf/१६

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अह्िला हिये जैसी भाषाका प्रयोग करते है,उसे से' अकल्लौलके सिवा और कोई याम नहीं दे सकता। उन लड़कियोंकेसाथ किये जानेव/ले भद्दे मजाक भी पत्र-लेखिकाने मुझे लिखे हैं, लेकिन से उन्हें उद्धृत नहीं कर सकता। अगर सिर्फ तात्कालिक निजी रक्षाका सवाल हो,तो इसमें सन्देहु नहीं कि उस लड़फीने जो अपनेको शारीरिफ वृष्टिसि कमजोर बताती है, जो इलाज, साइकिल सवारपर जोरसे

किताज मारकर किया, वह बिलकुल ठीक है । यह बहुत पुराना इलाज है। में! 'हरिजन/ में' पहले भी लिख सुका हूँ कि यदि कोई व्यक्ति जबरदस्ती करनेपर उताझ होना चाहता है,

तो उसके रास्तेमे शारीरिक कसजोरी भी रुकावट नहीं डालती, भले ही उसके सुकाबलेमें धारीरिक्र दृष्टिसे विरोधी बहुत बलवान हो। और हम यह भज्ी-भाँति जानते है कि आजकल तो जिस्मानी ताकत इस्तेमाल करनेफे इतने ज्यादा तरीके ईजाद हो चुके है|कि एक छीटी, लेकिन फाफी समझवार लड़फी किसीकी हत्या और घिनाशतक कर सकती है। जिस

परिस्थितिका जिक्र पत्र-लेखिकाने किया है,बसी परिस्थितियोंमें'लड़कियोंकोआत्मरक्षाफे तरीके सिखानेका रिवाज आजकल बढ़ रहा है। लेकिन लड़की यह भी खूब ससकझती है कि

भले वहु उस क्षण आतारक्षाके हुथिथारके तौरपर अपने हाप्रकी फिताब सारकर बच गयी हो, लेकिन इस बढ़ती एई बुराईका यह कोई असली इछाज नहीं है। भद्दे थाभहलीऊल सजाकफे

कारण बहुत घबड़ाने या डरनेकी जरूरत नहीं, छेकिन इनकी औरसे आँख रूद लेना भी ढीक भहीं। ऐसे सब सामल अखबरोंमेंछपा देने घाहिये। ठोक-ठीक मालूम होनेपर दधरारतियोंकेनाम भी अखबारोंमें'छप जाने चाहिमें। इस बुराईका भण्डाफोड़ करनेमें किसीका

झूठा लिहाज नहीं! करता चाहिये।

सार्वजनिक बुराईके लिये प्रबल्ल छोकसत जैसा

कोई अच्छा इलाज नहीं हैं। इसमें' कोई हक नहीं कि इन सामलोंकोंजनता बहुत

उव्ासीमतासे देखती है, लेकिन सिर्फ जनताकों ही क्यों" दोष दिया जाय ? उनके सामने ऐसी गुस्तमीके मामले भी तो आने चाहिये। चोरीतकके सामलोंके लिये उन्हें पत्ता लगा-

क्र छापा जाता है, तब कहीं जाकर चोरी कम होती है। इसी तरहु जबतक ऐसे मामले भी वयाये जाते रहेंगे, इस बुराईका इलाज सही हो सकता। बुराई और पाप भी अपने

शिकारके लिये अन्‍्यकार चाहते हूँ । जब उनपर रोहाती पढ़ती है, पेखुदभखुद खत्स हो जाते है ।

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लेकिन मुझे यह भी डर हैँ कि आजकऊकी लड़कौकों भी तो अनेकोंकी बुष्ठिसे' आकर्षक बनना प्रिय है। बहु अतिसाहुसको पसंद करती है। भालू होता है कि पत्रलेखिकामं जिस साहुसका जिक्र किया है, घह असाधारण है। आजकलकी लड़की वर्षा था

धूपसे बचनेके उह्ेश्यसे नहीं, बल्कि छोगोंकाध्यान अपनी ओर खौंचनेके लिये तरह-तरहके भड़कीज़े कपडे पहलती है। बहु अपनेकी रंगकर कुदरतफों भी भात करना और असा«

धारण सुन्दर अतमा चांहुतों है। ऐसी लड़कियोंके लिये कोई अधहिसक मार्ग भहीं है।

से इस पुष्ठोंमेंबहुत बार लिख चुका हूँकि हमारे हृदयसें अहिसाकी भाषताके विक्रासके लिये भी कुछ तिश्चित नियम होते है” । अहिताक्ी भाषता बहुत महान प्रयत्त है।

शक...